663d090e bf37 4d9a 90d7 bb2099f022a1
663d090e bf37 4d9a 90d7 bb2099f022a1

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशानुसार “अबुआ बजट” 2025-26 झारखंड के सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा.इस बजट का मुख्य उद्देश्य झारखंड के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों और हर झारखण्ड वासियों की समस्याओं का समाधान कर उनके चेहरे पर खुशहाली लाना है.

वे प्रोजेक्ट भवन में बजट पूर्व गोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि प्राप्त सुझावों को प्राथमिकता के साथ बजट में शामिल किया जाएगा, ताकि झारखंड राज्य आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सके.वित्त मंत्री ने बताया कि अब तक जो विभिन्न सुझाव आए हैं उनमें यह भी शामिल है कि डीजल की कीमतों को कम किया जा सकता है और उत्तर प्रदेश के बराबर लाया जा सकता है.

जिससे मांग बढ़ेगी और राजस्व में वृद्धि होगी. राज्य के आंतरिक संसाधनों के माध्यम से बिजली संयंत्र स्थापित करने के विकल्प पर भी चर्चा की गई. ऊर्जा विभाग राज्य में पिक लोड मांगों को पूरा करने के लिए औसतन 600 करोड़ रुपये प्रति माह का भुगतान कर रहा है.

बिजली की डिमांड 2900 मेगावाट है.वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को उत्पाद शुल्क विभाग के तहत लक्ष्यों पर फिर से विचार करने के लिए भी कहा गया, जो वर्तमान में इस वित्तीय वर्ष के लिए 2700 करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य सालाना 8,000 रुपये कमा रहे हैं, जबकि हरियाणा उत्पाद शुल्क से सालाना 5,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाता है, जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि चूंकि ‘महुआ’ का सेवन स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में किया जाता है, इसलिए गोवा जैसे स्थानों पर विभाग विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाश सकता है.

ताकि लोगों को अधिक परिष्कृत महुआ पेय उपलब्ध कराया जा सके और इससे मदद भी मिलेगी.संगोष्ठी में राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और आगामी बजट के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए. पहले सत्र में राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार, ऊर्जा, परिवहन, वाणिज्य-कर, उत्पाद एवं मद्य निषेद, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अधिकारियों ने अपने विभाग से संबंधित योजनाओं और आगामी बजट के प्रावधानों पर चर्चा की.

दूसरे सत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता, और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभागों ने अपनी योजनाओं और प्रस्तावों पर विचार प्रस्तुत किए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *