
प्रयागराज।
महाकुंभ मेले में इस बार श्रद्धालुओं की इतनी अधिक भीड़ उमड़ी कि ऐसा नज़ारा पहले कभी देखने को नहीं मिला। हिन्दुस्तान के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आकर माँ गंगा, माँ यमुना और माँ सरस्वती के पावन संगम में स्नान कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं।
महाकुंभ 2025 के इस ऐतिहासिक आयोजन में अब तक 55 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। इनमें देश-विदेश से आए बड़े-बड़े साधु-संत, संन्यासी, राजनेता, फिल्म अभिनेता, संपादक, पत्रकार और सनातन धर्म के अनुयायी शामिल हैं। इस बार का महाकुंभ अपने विशाल आयोजन और अभूतपूर्व भीड़ के कारण विशेष चर्चा में है।
विदेशों से भी उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र मेले में भाग लेने आए हैं। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महिमा को जानने और अनुभव करने के लिए विदेशी भक्त भी संगम में डुबकी लगाकर खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं।
संतों और महामंडलेश्वरों का प्रवचन

महाकुंभ के दौरान विभिन्न अखाड़ों के संत-महात्माओं द्वारा प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे हैं, जिनमें धर्म, अध्यात्म और मानव कल्याण से जुड़े विषयों पर विचार साझा किए जा रहे हैं। कुंभ मेले में नागा संन्यासियों और महामंडलेश्वरों का विशेष आकर्षण बना हुआ है, जो अपनी परंपराओं और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
इस विशाल जनसमूह को नियंत्रित करने और सुचारू रूप से कुंभ आयोजन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया है, साथ ही मेडिकल कैंप और सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम
महाकुंभ केवल स्नान का आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धार्मिक आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहाँ देश-विदेश के विद्वानों द्वारा धार्मिक और दार्शनिक विषयों पर चर्चा की जा रही है। साथ ही, पारंपरिक नृत्य, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हो रहा है।
श्रद्धालुओं की अपार आस्था
संगम पर डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु अपनी आस्था को और मजबूत महसूस कर रहे हैं। वे मानते हैं कि इस पवित्र स्नान से उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ इस अवसर का लाभ उठाने आए हैं और यह धार्मिक आयोजन उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया है।
महाकुंभ: सनातन संस्कृति की विरासत
महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है, और यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। सनातन धर्म की परंपराओं और संस्कृति को संजोए हुए यह मेला न केवल भारतीय उपमहाद्वीप बल्कि संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है।
‘न्यूज़ LIGHT भारत TV’ की विशेष रिपोर्ट
महाकुंभ की इस भव्यता और श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए न्यूज़ LIGHT भारत TV की टीम भी यहां मौजूद है और सभी महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर कर रही है। ‘अवश्य हम पूछेंगे’ अभियान के तहत हमारे संवाददाता इस आयोजन की गहराई से पड़ताल कर रहे हैं और श्रद्धालुओं के अनुभवों को साझा कर रहे हैं।